मंगलवार, 13 जुलाई 2010

बेचारा दुर्भाग्य

दुर्भाग्य को बेचारा कहने पर बहुत से लोग शायद हंसने लगें...पर हकीकत यही है की अपनी करनी का ठीकरा अगर किसी पे फोड़ना हो तो दुर्भाग्य से अच्छा कोई नहीं मिलेगा.....पिछले दिनों हमारे गौरवशाली देश के प्रधानमंत्री जी  कानपुर में एक दो कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुचे थे...तो जाहिर है सारे शहर  में सुरक्छा व्यवस्था भी जबरदस्त होगी ही.....लेकिन vip लोगों की यही सुरक्छा व्यवस्था आम आदमी पर कितनी भरी पड़ती है ..इससे सभी वाकिफ हैं....प्रधानमंत्री की इसी सुरक्छा व्यवस्था के बीच से एक रोते बिलखते माँ बाप अपने खून से लथपथ बच्चे का लेकर इधर से उधर दौड़ते हैं...लेकिन उनको अस्पताल तक के लिए जाने नहीं दिया जाता...जैसे तैसे करके एक सुरक्छा घेरे से निकलते तो दूसरा घेरा यमराज की तरह सामने ऐसे खड़ा हो जाता जैसे वो माँ बाप आतंकी थे.. या फिर वो खून से लथपथ बच्चा....कई घंटो की मेहनत के बाद जब बच्चा  अस्पताल पहुचा तब तक उसकी मौत हो चुकी थी...डॉक्टर ने कहा दस मिनट और पहले आते तो मासूम बच जाता.....ये तो थी उन बेचारे माँ बाप के दर्द की दास्ताँ...इसके बाद हमारे माननीय नेता कहते हैं...दुर्भाग्यपूर्ण था.....खैर ये तो मंत्री जी जुबान थी...अभी ताज़ा इलाहाबाद  में एक मंत्री जी नन्द गोपाल पर जानलेवा हमला हो गया..चारो तरफ सनसनी फ़ैल गयी...मंत्री जी घायल  हो गए...सारे टीवी चैनल का जमवाड़ा लग गया...हम भी टीवी चैनल वाले थे...मंत्री जी के पीछे ही लगे रहे...परिवार वालों को ज़बरदस्ती पकड़ पकड़ के बुलवाते रहे...मंत्री जी लखनऊ के pgi में रेफेर कर दिए गए...जाहिर है हम भी वहां पहुँच गए....लाइव के लिए तैयार हमारे रिपोर्टर साहब अपना कालर ठीक करने में जुटे हुए थे तभी..एक आम आदमी आया और बोला...की एक आम आदमी का बच्चा मर गया है...उसे अंदर नहीं जाने दिया गया....और न ही कोई डॉक्टर ने सुना....हमारे रिपोर्टर साहब ने कहा अभी वक्त नहीं है...बाद में...बेचारा वो आदमी वहाँ से चला गया...वक्त की कमी की  बात की थी...लेकिन करीब बीस मिनट तक कैमरामेन से अपनी स्मार्टनेस के बारे में पूछते रहे.........यहाँ मेरा मकसद किसी एक व्यक्ति के ऊपर आछेप लगाने का नहीं है,...खैर उनको भी टीआरपी देनी थी... लेकिन ऐसा नहीं की ये किसी एक बच्चे के साथ हुआ हो...उस वक्त वह न जाने कितने मरीज होंगे जो डॉक्टर के इंतज़ार में तिल तिल मर रहे होंगे....सवाल तो ये  ये है की मंत्री जी का खून बहा तो जलजला आ गया...और आम आदमी के खून की नदियाँ भी बह जाये तो पानी.....लेकिन यहाँ एक बात याद रखनी होगी की जब कोई संकट देश पे आता है..तो आम आदमी की औलाद ही अपनी जान देकर हमारी जान बचाती है....उस वक्त किसी मंत्री या vip  की औलाद सामने नहीं आती........उस वक्त अगर उस आम आदमी की बात सुनते तो शायद हम पछाड़ जाते लेकिन ये भी सच है कि हम सबसे आगे होते..कुछ देर तो रुकते हर कोई आपे पीछे चलता ...और अगर न भी चलता तो  उस आदमी के कारन न जाने कितनो को ज़िन्दगी मिल जाती.....