शुक्रवार, 14 मई 2010

"फूट डालो और राज करो "

मैं इतिहास की छात्र तो नहीं हूँ पर किताबों में पढ़ा था कि अंग्रेजों का कहना था कि कांग्रेस का जन्म भारत में अंग्रेजी हुकूमत कि जड़ें मजबूत करेगा । आज कि कांग्रेसी सरकार कि नीतियों को देखकर ये कथन अनायास ही याद आया तो सोचा कुछ लिखू.आज भारत कि सरकारें देश में दलितों की राजनीती करती दिख रही हैं जिसे देखो वो दलितों को अपनी तरफ खीचने में लगा है और बेचारे दलित दो पाटो के बीच पिसने के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिलता.जब देखो तब कांग्रेस के युवराज दलितों के घर जाकर दस्तक देते हैं.मुझे इस सवाल का जवाब नहीं मिल पता की आखिर दलितों के यहाँ ही क्यों भोजन होता है.बेचारों के पास जो एक वक्त जो निवाला होता है वो तो छीन ही लेते हैं और पड़ोसियों से उधर अलग चढ़ जाता है.और बदले में मिलते हैं सिर्फ वादे .जो पता नहीं कितनी पीढियों में पूरे होंगे.पर आखिर देश में क्या दलित ही हैं जिनके पास दो जून की रोटी नहीं है....तो जरा दलितों के बिल से सर निकल कर देखें ये राजनेतिक दल.. कि देश में दूसरी जातियों के गरीब भी बसते हैं.जिनके पास रोटी तो दूर, दूर दूर तक पानी का कतरा भी नहीं। पानी के नाम पर कुछ है तो वो है आँखों का पानी वो भी अब मर चला है..पर किससे कहे आखिर सत्ता तो हमने दी है ...अंग्रजो की नीति थी फूट डालो और राज करो.आज कांग्रेस सरकार के फैसले से उसी नीति की बू आ रही है.अंग्रेजों ने हिन्दू मुस्लिम की अलग अलग संख्या आंकी तो पाकिस्तान बना और जो बचे खुचे भारत में हैं मुस्लिम, वो आज भी खुद को हिन्दू से अलग मानते हैं और हिन्दू खुद को मुसलमानों से पहले.ये बीज अंग्रेजों ने बोया और इस जहरीले पेड़ का दर्द आज भी भारत माँ की छाती में नासूर बना हुआ है...और आज ये राजनीतिक दल देश को एक बार फिर उसी मोड़ पर ले आये हैं.प्रधानमंत्री जी ने कहा ये जनगड़ना जातियों के हिसाब से होगी.हिन्दू मुस्लिम को बाँटकर के इस दल का पेट नहीं भरा अब ये दल देश को और कितने हिस्सों में बांटेगा.मैं देशवासियों से गुज़ारिश करना चाहती हूँ की जागो और समझो इस सरकार की नीतियों को.ये फिर पुराना इतिहास दोहराने जा रही है.इससे जो फायदे होंगे वो तो नेताओं के पेट की भेंट चढ़ जायेंगे .लेकिन बट जायेगा हिंदुस्तान.इस हिंदुस्तान में न जाने कितने राष्ट्र सांसे लेने लगेंगे.इन्हें गिनती मिल जाएगी की किस जाती के कितने वोट हैं और किसे कितना रिझाना है.मैं तो बस इतना कहना चाहूंगी की ये राजनीति की तवायफ के दुपट्टे हैं किसी के आंसुओं से नहीं भीगते। बस सीधा सा जवाब मिलेगा..देश के विकास के लिए अच्छा कदम है और भलाई किसकी होती है ये इस बात से पता चल जाता है कई हमारे न जाने कितने नेताओं के ऊपर आय से ज्यादा सम्पति के मुक़दमे चल रहे हैं..और जिसकी सरकार आती है वो साफ़ बच जाता है,.कांग्रेस की सरकारदेश को दीमक की तरह चाट गयी पर आज भी हम नहीं जागे। इस गंभीर मुद्दे पर मुझे एक ऐसी कविता याद आ रही है.जिसे आप शायद मजाक में लेके मुस्करा दें.पर इन नेताओं के वादों की हकीकत के रास्ते बस यही तक जाते है. सड़क पक्की करा दूंगा कहा होगा काम जो छूटे पड़े हैं पुरे करा दूंगा कहा होगा पर नशे की बात की औकात क्या प्यारे इलेक्शन के नशे में था कहा होगा.