शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

MERI DIARY: सुखकर्ता दुखहर्ता

MERI DIARY: सुखकर्ता दुखहर्ता: "वैसे तो हर रोज़ सुबह शाम ऑफिस आते जाते रास्ते कि झुग्गीयों को देखती थी. साथ ही छोटे छोटे बच्चो के हाथ में सूखे रोटी के टुकड़े या फिर चंद चा..."