गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
देसके भीतर पनपता आतंकवाद
हमारे संविधान ने हमारी सत्ता पहले ही हमें सौप दी थी....आज हम एक दुसरे को... सरकार को गाली दे रहे हैं ...क्यों जबकि आज जिम्मेदार अगर कोई है तो ...हम खुद...आखिर अपनी सरकार चुनते तो हम ही हैं न...फिर अगर कोई राज ठाकरे देश में विद्रोह फैला रहा है तो उसका दोस किसे दिया जाये...इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो हम हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला मीडिया....क्या है राज ठाकरे.... एक आम इन्सान ही न उसे आज हम प्रचारित करके क्या लोगो में आक्रोस नहीं फैला रहे...उसका प्रचार नहीं कर रहे...तो फिर कौन जिम्मेदार हुआ हम न........सरकार दोषी क्यों .....उसे बैठाया तो हमने ना..फिर ये आतंकवाद महंगाई और राज ठाकरे जैसे मुद्दों पर क्यों सरकार को कोष रहे है....पूरी दुनिया में जो देश भारत माता के नाम से जाना जाता है आज उसी देश की धरती पर क्षेत्रवाद ऐसा फ़ैल गया है की मार काट पे उतारू हो गया इन्सान ....जिस देश का पिता अहिंसावादी हो उस देश के लोग हिंसा से मर रहे हैं....क्या राज ठाकरे जैसे लोगो को शर्म नहीं आती....जिस देश को एक करते करते इतने शहीदों ने कुर्बानियां दी उसी देश को ये कुछ तुत्पुन्जिये तोड़ने की साजिस रच रहे हैं...अज राज ठाकरे का बयां आया की वो अलग मराठा देश बना सकता है....तो उस राज ठाकरे को बताओ की पाकिस्तान भी कभी बना था ....आज उसकी हालत पे रोने के लिए उसके पास खुद आंसू नहीं है..किस दम पे ये राजद्रोह की बातें करता है...हमारे दम से ही....ये हमारा नाकारापन है जो ऐसे राजद्रोही उन्माद को बढ़ावा दे रहे हैं.....अब कहाँ गया हमारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार जो अपनी बात कहने पर ही क़त्ल करने की धमकी देता है...और क्यों चुप है सरकार , संविधान ...चुप है न्यायालय....बस अगर कोई बोल रहा है तो वो है राज ठाकरे और सह दे रहे हैं हम देश के चौथे स्तम्भ...
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